लेखनी कहानी - वो यादें 05-Jan-2023
वो यादें
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
तीनपहर जिंदगी के पीछे चौथा आने को है
पहला पहर बचपन का ऐसा वह स्नेह को आज भी याद है
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
भूख लगने से पहले मां का दूध मिल जाता था कब सूरज निकल आता मुझे पता भी नहीं लग पाता
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
मैं उन्हें हंसाती वह मुझे हंसाते बाहों के झूले में किलकारी लेते दिन कब बीत जाती पता भी नहीं चलता
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
कितना लोहा तथा वह मंजर थाली से रूठ कर बैठ जाना और मां का मुझे मनाना
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
चोरी से गलियों में घूमना बिना बताए बारिश में भीगना कोई देख ना ले मुझको फिर मिले कपड़ों में बिस्तर पर सो जाना
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
गुड्डा गुड़ियों की शादी करना दावत में खीर पूरी बनाना मिलकर मोहल्ले के बच्चों के साथ फिर अपने ही घर में चोरी करना
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
मां जब पढ़ने की कहती दादी के बिस्तर पर चड़ जाती खाना दादा संग खाती कहानी सुनते 'सुनते दादा-दादी के सग में सो जाती
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
खेल खेलते स्कूल का हम बनकर टीचर बच्चों को पढ़ाते अपने पढ़ने की जब बारी आती खेल बंद कर रूठ जाते हम घर जाने का बहाना करके मां के पास भाग जाते हम
वह बचपन आज भी याद है
वह बातें आज भी याद है
स्नेह🍁🍁
Radhika
09-Mar-2023 01:35 PM
Nice
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Mahendra Bhatt
05-Jan-2023 11:03 PM
बेहतरीन
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SNEH KI DlARY
05-Jan-2023 08:32 PM
धन्यवाद आपका आभार हैं
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